Thursday, September 28, 2006

Friday, September 22, 2006

सुटटा और GMD

कुछ दिन पहले इंटरनेट पर विचरण करते हुये मैं जब अचानक अमित के ब्लाग तक पहुँचा, [हां मै अलबत्ता यह अभी तक तय नही कर पा रहा हूँ कि यह अमित अपने वाले अमित हैं या कोई और अमित] तो अचानक एक पोस्ट ने बरबस धयान खींच लिया। 'सुटटा' और 'GMD' मैने करीब दो साल पहले इंटरनेट पर सुना था । ‘सुटटा’ को पाकिस्तान के जीस्ट बैन्ड ने कम्पोज किया है और 'GMD' को XLRI जमशेदपुर के 'बोधिटिरी' नाम के ग्रुप ने बनाया है। गाने के बोल एकदम झकास हैं और दोनो ही गाने आपको अपने कालेज की यादों को ताजा कर जायेगें।
आज भले ही मुझे यह बोल अशशील लग रहे हैं लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब इसी प्रकार के बोलों का चलन था । हाँ, मै उन कालेज के दिनों की ही बात कर रहा हूँ। मेडिकल का कोई भी छात्र भले कि किसी भी पद्दति का हो उसे ‘रैगिग’ से गुजरना अवशय पडता है। हम लोगो को भी रैगिग सत्र के दौरान एक विशेष 'मेडिकल डायरी' बनानी पडती थी जो मेडिकल से कोसो दूर और डायरी के नाम पर तो एक तमाशा ही थी। लेकिन उस डायरी को बनाना अनिवार्य था, हमारे सीनियर्स ऐनाटोमी के डिसेक्शन पीरियड के दौरान शिक्षक की अनुपस्थिति मे आ धमकते और फ़िर शुरू होता सुनने सुनाने का दौर, जो ना सुना पाये उसका मार खाना भी निशिचत था।
‘'डायरी' के अगर मै कुछ पन्ने खोल दूँ तो अधिकाश ब्लागरस मुझे अपनी बिरादरी से ही दूर कर दे। आज 26 साल के बाद मै ऐनाटोमी और फ़िजियोलोजी के कई अंश तो भूल गया हूँ लेकिन डायरी बिल्कुल कंठस्थ है और होगी भी क्यों नहीं , आखिर इसी को याद करने की ही वजह से ही सीनियर्स से अच्छे संबध हुये। बाद के कुछ सालों मे मुझे सीनियर्स और जूनियर्स के सबध बिगडते ही दिखे। अब तो मै देखता हूँ कि अक्सर सीनियर्स ही अपने जूनियर्स से मार खा जाते हैं। वक्त -2 की बात है।

जिन दो गानों की मै बात कर रहा था वह दोनो गाने mp3 player और बोल सहित इस पोस्ट मे संल्गन है। आप सिर्फ़ head phone अपना कान मे लगायें या फ़िर speaker से जोड दें और गाने का मजा लें। गालियों पर अधिक धयान देने के अलावा गाने का पूरा आनंद ले। के.पी. सक्सेना जी की एक रचना का मै विशेष उल्लेख करना चाहूगाँ जिसमे के.पी.लिखते है कि अगर आप किसी को हिन्दी मे 'उल्लू का पटठा हरामजादा' कहो तो वह एक बार तिलमिला उठे लेकिन यही शब्द अगर आप संस्कृत मे 'हे उलूक पुत्र अवैधजनक' कहो तो सुनने वाले का मन भी करे कि बार-2 सुनता रहे, कमोबक्श अंग्रेजी की गालियों के साथ भी ऐसा ही होता है।

1:-सुटटा

sutta



COUGHHSSS....OK THIS SONG IS DEDICATED TO ALL THE SMOKERS
AND DOPERS BY ZEEST THE BAND...SO LETS HIT IT....BC SUTTA!
दोस्तों में बैठा मै सुटटा पी रहा
अब्बा ने मुझे सुटटा पीते देख लिया
घर जब मै पहुँचा मुझे डन्डा हो गया
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला
--------कोरस------
ब***च***सुटटा मुझे सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा मुझे सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला

कालेज मै गया मुझे प्यार हो गया
उसने भी मुझसे मेरा सुटटा छीन लिया
सडकों पे घूमा मै तन्हा रह गया
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला****
--------कोरस------
ब***च***सुटटा मुझे सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा मुझे सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला

शादी हुयी मै हस्बैन्ड बन गया
रात भर ठोका मै थक कर गिर गया
खुशियों की खातिर मेरा सुटटा छिन गया
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला****
--------कोरस------
ब***च***सुटटा मुझे सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा मुझे सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला

ब***च***मा***च*** ब***च***मा***च***
ब***च***मा***च*** ब***च***मा***च***
ब***च***मा***च*** ब***च***मा***च***
ब***च***मा***च*** ब***च***मा***च***
ब***च***मा***च***

2:-GMD

bodhitreehb6


काल से पहले वही था
काल के बाद वही
जाने कितनी सदियों से
ले रहा वो तेरी
तेरी तेरी तेरी तेरी
तेरी तेरी तेरी तेरी
गाँ*** मे डंडा दे
तेरी गाँ*** मे डंडा दे
ना बाँस की बन्सी।
ना सोने का सरिया--
गाँ*** मे डंडा दे

गाँ*** मे डंडा दे तेरी गाँ*** मे डंडा दे
ना बाँस की बन्सी।
ना सोने का सरिया--
गाँ*** मे डंडा दे


आया था वह XL में
सपनो का एक बादल
I.R.(इन्डर्सटीयल रीलेशन्स) की लडकी टोट बहुत थी,
मन मे मची थी हलचल
साथ जीयेगें साथ पढेगे
साथ चलेगें पैदल
पता चला पर बाईक वाला कोई
ले गया उसको आकर
गाँ***पे पड गयी लात
जो टूटा सपनो का महल

तेरी गाँ*** मे डंडा दे,तेरी गाँ*** मे डंडा दे
ना सोने की मुरगी ना चाँदी का अंडा
गाँ*** मे डंडा दे
मेरी गाँ*** मे डंडा दे,मेरी गाँ*** मे डंडा दे
ना बाँस की बन्सी।
ना सोने का सरिया--
गाँ*** मे डंडा दे

गाइड था उसका बडा हरामी,
पप्पू का तोडा सपना,
सेकंड यीएर फ़िर वापस आ गया
हाथ मे ले कर अपना
CQ (Contemporary Quotient) भी उसकी खास नही थी
डेंटू का पड गया रुकना
गाँवो मे साबुन बेच रहा है
झूठ है उसका हँसना
गाँ***पे पड गयी लात तो क्या है,
बनेगा नया महल

तेरी गाँ*** मे डंडा रे,तेरी गाँ*** मे डंडा रे
ना रेल की पटरी ना बिजली का खम्बा
गाँ*** मे डंडा रे
मेरी गाँ*** मे डंडा दे,मेरी गाँ*** मे डंडा दे
ना बाँस की बन्सी।
ना सोने का सरिया--
गाँ*** मे डंडा दे

तेरी गाँ*** मे डंडा रे,तेरी गाँ*** मे डंडा रे
कब का है घुसा
जरा देख पलट
तेरी गाँ*** मे डंडा रे,

तेरी गाँ*** मे डंडा रे,तेरी गाँ*** मे डंडा रे
ना बाँस की बन्सी।
ना सोने का सरिया--
गाँ*** मे डंडा दे

Friday, September 01, 2006

लालू की लीला

लालू की तो हर अदा निराली है। पवन लगभग 12 सालों से बिहार के हालात पर अपनी तिरछी नजर जमायें हैं और उनके अभी तक करीब 7000 कार्टून विभिन्न अखबारों मे प्रकाशित हो चुके हैं।