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धनिया , पालक , बथुआ , टमाटर बेचते देख लखनऊ आईआईएम के छात्रों को देखकर चौकियें नहीं , यह कोई मंदी की मार नही है बल्कि सब्जी बेचते दुकानदारों से ट्रेनिगं लेते हुये यह आईआईएम के होनहार छात्र हैं । कहना नही होगा कि सब्जी बेचने के लिये चिल्लाते-२ इनके गले सूख ही गये ; वह बात अलग कि उनको तर करने के लिये मिनरल वाटर की आवशयकता बार-२ पडी ।
Monday, January 19, 2009
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8 comments:
बढिया जानकारी
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चित्र तो दिखा नही क्लिक भी तब परभी
इस बात का भी सर्वे किया जाये कि आईआईएम छात्रों ने पुलिसवालों, गुन्डों की हफ़्तावसूली, ट्रैफ़िक जवानों द्वारा मुफ़्त सब्जी ले जाना, आवारा गाय-भैंसों द्वारा समय-समय पर सब्जी में मुँह मारना आदि घटनायें देखी या नहीं? और यदि देखी तो उसके निराकरण के लिये क्या-क्या उपाय सुझाये, वरना यह सारा झमेला रिलायंस फ़्रेश प्रायोजित ही लगेगा… :) :)
अच्छी जानकारी ।
बहुत सुंदर लगा, लेकिन अब आवारा गाय-भैंसों को कोन खिलयेगां? वो तो बेचारी भुखी मरेगी... बहुत सुंदर लगा
धन्यवाद
अच्छी जानकारी दी.....आई आई एम के छात्र सब्जीवालों की आय बढाने में सहयोग करें तो बहुत अच्छा हो।
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने !!!
"पहले के भाव सहयोग भावना में घुल गए.........."
ये भोले भाले दिहाडी दुकानदार जिन्हें विद्यार्थी समझ कर खुशी खुशी सहयोग कर रहे हैं. वे ही कल इन्हे और इनके बच्चों को इनके ही धंधे से बाहर कर देंगे.
याद है विश्व की हीरा राजधानी सूरत के कारीगर सद्भावना यात्रा में चीन ट्रेनिंग देने गए थे और आज विश्व के ज्यादातर हीरे चीन जाने लगे हैं. मैंने भी प्रबंधन में डिग्री ले रखी है और इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अच्छी तरह समझता हूँ.
बेचो कैसे भी बेचो, किसी भी कीमत पर बेचो, दूसरे किसी के नुकन की परवाह मत करो, सिर्फ़ मुनाफा देखो....... यही इनका मंत्र है.
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