नौटंकी को स्पष्ट और बड़ा आकार देखने के लिए, तस्वीर पर क्लिक करें
Monday, December 25, 2006
Wednesday, December 20, 2006
हंसता हुआ धर्म (ओशो की पुस्तकों से संकलित)-3
अमृतसर के स्टेशन पर जब टिकट चैकर आया तो सरदार जी ने देखा कि उनके बगल मे बैठे सज्जन ने कह दिया कि मै तो नेता जी हूँ और टिकट चॅकर आगे बढ गया। इसी तरह स्टेशन के गेट पर भी वे बाहर निकल गये और कुली को पैसे भी नहीं दिये। सरदार जी यह देखकर अत्यन्त प्रसन्न हुये। उन्होने भी यह तरकीब अपनाने की सोची। अगली बार जब वे कहीं जा रहे थे तो उन्होनें भी टिकट नहीं खरीदा। टिकट चेकर ने पूछा: टिकट दिखाइये।
' अरे भाई, टिकट माँगते शर्म नहीं आती? मै इस देश का नेता हूँ? '
' माफ़ करिये'--टिकट चेकर बोला-- 'आपका शुभ नाम क्या है? सरदार जी ने इसका कोई उत्तर तो सोचा नहीं था। सो वे घबरा गये और घबडाहट मे बोले: 'अरे मुझे जानते नहीं , मै इंदिरा गांधी हूँ !'
टिकट चेकर भी सरदार था। पैर छूकर बोला : 'भैया, बडे दिनों से दर्शन की अभीलाषा थी, आज पूरी हुई।'
************************************************************************************
एक बहुत सुंदर युवती एक कैथोलिक पादरी के पास अपने पाप की स्वीकारोक्ति , कनेफ़ैशन करने आयी। परदे की ओट मे पादरी बैठा---एक तरफ़ पादरी, दूसरी तरफ़ युवती। लेकिन पादरी युवती को जानता है, अति सुंदर है ! युवती कहती है कि मुझसे कुछ भूल हो गयी है, उसके लिये स्वीकार करने आयी हूँ। क्षमा करने की कृपा करें। कल एक युवक आया, उसने मेरे पैर पर हाथ रखा।
पादरी उत्सुक हुआ ! पादरी ने कहा : फ़िर ? लेकिन उसके पूछने मे कि फ़िर , बडी आतुरता थी ! युवती ने कहा :फ़िर वह मेरी साडी खीचने लगा। पादरी की धडकन बढी और उसने पूछा : फ़िर ? युवती ने कहा : फ़िर मुझे भी अच्छा लग रहा था, तो मैनें साडी खींच लेने दी। पादरी ने पूछा : फ़िर ? तो उसने कहा : फ़िर, फ़िर मेरी माँ आ गयी । पादरी ने कहा :धत तेरे की !
Monday, December 18, 2006
एक लाख रू में कार खरीदने का सपना पूरा करें।
अगर आप नया दो पहिया वाहन लेने के इरादे मे हैं तो वर्ष 2007 का जरा सा इन्तजार कर लें। वर्ष 2007 मे टाटा अपनी नई कार मात्र एक लाख रू में बाजार मे उतार रही है। वैसे यह चित्र कितने सही हैं इसके बारे मे मुझे भी संशय है , यह चित्र मुजे कल ही मेल द्वारा प्राप्त हुई थी ।
Saturday, December 16, 2006
Thursday, December 14, 2006
हंसता हुआ धर्म (ओशो की पुस्तकों से संकलित)
एक दिन नसरुदीन घबडाया हुआ सा अपने निजी डाक्टर के पास पहुंचा और उससे बोला कि डाक्टर साहब,मेरे नौजवान बेटे ने , जिसे की छूत की बीमारी है, मेरी नौजवान नौकरानी को चूम लिया है और कहता है कि मै उसे अक्सर चूमा करता हूँ।
डाक्टर बोला, तो आखिर इसमें इतना परेशान होने की बात क्या है? नसरुदीन, आखिर वह भी युवा ही है। फ़िर छोकरे छोकरे हैं, लडके लडके हैं और नौकरानी को चूमा है न , इसमे घबराते इतना क्यों हो?
नसरुदीन बोला, पर डाक्टर साहब , आप समझने की कोशिश करे क्योंकि मै भी उस नौकरानी को अक्सर चूमा करता हूँ। क्या वह छूत का रोग मुझे नहीं लग सकता? डाक्टर बोला, घबराओ मत बडे मियां, नौकारानियां आखिर चूमने के लिये ही तो रखी जाती हैं । और छूत की बीमारी कोई बीमारी है! और यदि तुम्हें कोई लग भी जाय , तो उसका आखिर इलाज है। मै किसलिये हूं?
नसरुदीन बोला, पर डाक्टर साहब, बात यहीं खत्म नहीं होती। नौकरानी को चूमने के बाद मै कई बार अपनी पत्नी को भी चूम चुका हूं।
अब डाक्टर ने घबराते हुये कहा, ऐ, तो क्या यह वाहियाद रोग मुझे भी लग गया।
Wednesday, December 06, 2006
चन्द भारतीय क्रिकेटरों की ई -मेल आई डी
1. लक्षमण:
available@home-only.com
2.गाँगुली:
nowdays@no_use.com
3.कुम्बले:
only@test_match.com
4.सचिन तेन्दुलकर:
admitted@hospital.com
5.कैफ़:
good@for_nothing.com
6.SEHWAG:
consistently@out_of_form.com
7.राहुल द्रविड:
stick@crease_like_fevicol.com
8.इरफ़ान पठान:
takewickets@only_with_kenya.com
9.गुरु ग्रेग चैपल:
only_experiment@noresult.com
10. मुनफ़ पटेल:
only_line&length@nospeed.com
11.हरभजन सिह
no_spinpitch@nowicket.com
12. सुरेश रैना:
why_i_am_there@god_knows.com
available@home-only.com
2.गाँगुली:
nowdays@no_use.com
3.कुम्बले:
only@test_match.com
4.सचिन तेन्दुलकर:
admitted@hospital.com
5.कैफ़:
good@for_nothing.com
6.SEHWAG:
consistently@out_of_form.com
7.राहुल द्रविड:
stick@crease_like_fevicol.com
8.इरफ़ान पठान:
takewickets@only_with_kenya.com
9.गुरु ग्रेग चैपल:
only_experiment@noresult.com
10. मुनफ़ पटेल:
only_line&length@nospeed.com
11.हरभजन सिह
no_spinpitch@nowicket.com
12. सुरेश रैना:
why_i_am_there@god_knows.com
Tuesday, December 05, 2006
मुल्ला नसरुद्दीन के कारनामे
ओशो के व्यक्तित्व को कौन नही जानता। उनकी बहुत सी बातो से भले ही हम रजामंद न हो लेकिन एक बात तो तय है कि उनका व्यक्तित्व बहुयामी रहा। मुल्ला नसरुद्दीन के चरित्र को उन्होने बडी बखूबी अपने प्रवचनों मे उतारा है और सबसे विशेष बात कि उनके अधिकतर लतीफ़े कहीं से उधार लिये हुये नही थे बल्कि उनके स्वंय के ही बनाये हुये थे। प्रस्तुत लतीफ़ों की श्रृंखला "उत्सव आमार जाति, आनन्द आमार गोत्र" से ली गयी है।
मुल्ला नसरुद्दीन के बेटे ने उससे पूछा : पापा, मेरे मास्टर कहते हैं कि दुनिया गोल है। लेकिन मुझे तो चपटी दिखाई पडती है। और डब्बू जी का लडका कहता है कि न तो गोल है , न चपटी , जमीन चौकोर है। पापा ,आप तो बडे विचारक हैं , आप क्या कहते हैं ?
मुल्ला नसरुद्दीन ने आंखे बन्द की और विचारक बनने का ढोंग करने लगा। कुछ देर यूँ ही बैठा ही रहा, हाँलाकि उसके समझ मे कुछ नहीं आया ,सब बातें सिर से घूमती रहीं कि आज कौन सी फ़िल्म देखने जाऊं, क्या करुं क्या न करूं। बेटे ने कहा : पापा, बहुत देर हो गयी , अब तक आप पता नही लगा
पाये कि दुनिया गोल है , चपटी या फ़िर चौकोर?
मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा : बेटा , न तो दुनिया गोल है न चपटी न चौकोर। दुनिया चार सौ बीस है।
**************************************************************
एक आदमी ने गाँव के नेता जी को किसी बात पर सच्ची बात कह दी । कह दिया कि उल्लू के पटृठे हो! अब नेता जी को उल्लू का पटृठा कहो तो नेता जी कुछ ऐसे ही नहीं छोड देगें। उन्होनें अदालत मे मुकदमा मानहानि का चलाया।
मुल्ला नसरुद्दीन नेता जी के पास ही खडा था तो उसको गवाही मे लिया । जिसने गाली दी थी नेता जी को , उसने मजिस्ट्रेट को कहा कि होटल में कम से कम पचास लोग ,जरुर मैने उल्लू का पटृठा शब्द का उपयोग किया है; लेकिन मैने किसी का नाम नही लिया । नेता जी कैसे सिद्द कर सकते हैं कि मैने इन्ही को उल्लू का पटृठा कहा है।
नेता जी ने कहा : सिद्द कर सकता हूँ। मेरे पास गवाह हैं। मुल्ला को खडा किया गया । मजिस्ट्रेट ने पूछा कि मुल्ला , तुम गवाही देते हो कि इस आदमी ने नेता जी को इंगित करके उल्लू का पटृठा कहा है! मजिस्ट्रेट ने कहा : तुम कैसे इतने निशिचत हो सकते हो? वहाँ तो पचास लोग मौजूद थे, इसने किसी का नाम तो लिया नहीं। नसरुद्दीन ने कहा : नाम लिया हो कि न लिया हो, पचास मौजूद हों कि पांच सौ मौजूद हों , मगर वहां उल्लू का पटृठा केवल एक था । वह नेता जी ही थे ! मै अपने बेटे की कसम खाकर कहता हूँ कि वहां कोई और दूसरा था ही नहीं , यह कहता भी तो किसको ?
**************************************************************एक गाँव मे एक धर्मगुरु आये । मुल्ला नसरुद्दीन भी सुनने गया। धर्मगुरु का उपदेश था कि दूसरों के जीवन मे व्यवधान डालना हिंसा है। प्रवचन के बाद मुल्ला मंच पर पहुचा, बोला मै आपको एक बढिया लतीफ़ा सुनाता हूँ, जरा गौर से सुनिये। लतीफ़ा चार खडों मे है।
पहला खण्ड : एक सरदार जी साइकिल पर अपनी बीबी को बैठा कर कहीं जा रहे थे। रास्ते में गडृढा आया, बीबी चिल्लायी: जरा बच कर चलाना ! सरदार जी ने साईकिल रोकी और उतर कर बीबी को एक झापड मार कर कहा : साइकिल मै चला रहा हूँ कि तू?
धर्मगुरु बोले : सही बात है, किसी के काम मे अडंगा नही डालना चाहिये।
मुल्ला ने आगे कहा : जरा सुनिये दूसरा खंड । सरदार जी घर आये। बीबी चाय बनाने बैठी । गुस्से मे तो थी ही , स्टोव मे खूब हवा भरने लगी । सरदार जी बोले : देखो, कहीं टकी फ़ट न जाये। बीबी ने सर्दार जी दाढी पकड कर सरदार जी को एक चांटा लगाया। बोली : चाय मै बना रही हूँ कि तुम ?
धर्मगुरु बोले : वाह-वाह, क्या चुटकुला है ! किसी के काम मे बीच मे बोलना ही नही चाहिये।
मुल्ला ने कहना आगे जारी रखा । कहा : सुनिये, अब सुनिये चौथा खंड…...एक बार एक सरदार जी……..।
धर्मगुरु ने बीच मे टोका : अरे भाई, पहले तीसरा सुनाओ। दूसरे के बाद यह चौथा खंड कहां से आ गया? नसरुद्दीन ने आव न देखा ताव , भर ताकत एक घूंसा धर्मगुरु की पीठ पर लगाया और बोला : चुटकुला मै सुना रहा हूँ कि तुम ?
**************************************************************
नसरुद्दीन का बेटा फ़जलू स्कूल से चार नये शब्द सीख आया- दारु,हुक्का,रंडीऔर उल्लू का पटृठा। वह बारम्बार इनके अर्थ पूछे। इस डर से कहीं बेटा बिगड न जाय, नसरुद्दीन ने दारु का अर्थ चाय, हुक्का का अर्थ काफ़ी, रंडी का अर्थ भिंडी की सब्जी , और उल्लू का पटृठा यानी मेहमान बतला दिया। दूसरे ही दिन एक विचित्र घटना घटी, जिसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी। फ़जलू बहार बरामदे में बैठा था , तभी नसरुद्दीन का कोई परिचित उससे मिलने आया। फ़जलू ने कहा : आओ उल्लू के पटृठे, कुर्सी पर बैठो। मित्र तो यह सुन कर हैरान हो गया। बोला, तुम्हारे पापा कहां गये हैं? फ़जलू ने कहा :पापा, अरे वह बाजार गये हैं रंडी खरीदने। आजकल उन्हें रंडी बहुत भाती है। वे आते ही होगें।
फ़जलू ने अपने नये शब्द-भंडार का उपयोग करने का अच्छा अवसर देख कर कहा : आप हुक्का पीना पंसद करेगें या दारु लेकर आऊँ? वह मित्र तो यह सुन कर हक्का-बक्का रह गया,घबराते हुये बोला : फ़जलू कैसी उल्टी-सीधी बातें कर रहे हो? तुम्हारी मम्मी कहाँ हैं? उन्ही को बुला लाओ, तब तक पापा भी आते होगें।
फ़जलू ने दरवाजे के भीतर झांक कर आवाज लगाई; मम्मी एक उल्लू का पटृठा आया है । मैने हुक्का पूछा, दारु की पूछी तो कुछ नहीं बोला। कहता है कि उल्टी-सीधी बातें मत करो ; जब तक पापा रंडी वगैरह नहीं लाते , तब तक तुम्हारी मम्मी को ही बुला दो।
Monday, November 13, 2006
हिन्दी राइटर का 1.4 वर्जन जारी
हिन्दी राइटर के माध्यम से हिन्दी लिखने वालों के लिये एक खुशखबरी। हिन्दी राइटर का 1.4 वर्जन जारी हो चुका है। श्री देवन्द्र पारख जी द्वारा निर्मित यह राइटर अब की बार कई नई विशेषताओं के साथ आया है:-
1-automatic wordlookup फ़ीचर के साथ-
शब्दों का चयन करने के साथ ही wordlookup स्वयं ही उनसे मिलते हुये शब्दों को दिखाने लगता है।
2- OpenOffice.org 2.0 के लिये भी Spell Check support
3-हिन्दी राइटर की गाइड के साथ
4-Update: Added support for ऍ(ae, .c) and ऑ(ou, .C).
5-Update: Added alias oo for ऊ.
6-Minor updates to the dictionary
7-Removed Ctrl+F12 as the TransPaste key (Alt+INS still works)
8-Fix: Crash when closing applications
9-Fix: Spell Check not working right with large dictionaries
10-Fix: Corrections to the transliteration map for TT(ट्ट) and ThTh(ठ्ठ)
हिन्दी राइटर 1.4 को आप यहाँ से डाऊनलोड कर सकते हैं और सबसे विशेष बात कि किसी भी शब्द को लिखने मे कोई समस्या आ रही हो तो सीधे श्री देवन्द्र पारख जी से सहायता ले सकते हैं, आप का email id है dparakh [at] gmail [dot] com
Sunday, November 12, 2006
Friday, November 03, 2006
समीर लाल जी नये रूप मे
इस फ़ोटू को देखकर आप उल्टा मतलब न निकालें, यह सिर्फ़ ब्लाग चलाने के बारे मे विशेष जानकारी देनी है। अगर आप अपने बलाग को लेकर वाकई मे सीरियस हैं तो अपने ब्लाग के किनारे इसको लगा ले , सर्वप्रथम अपने ब्लाग को यहाँ रखें, बकायदा पूजा अर्चना करें , हाँ दक्षिणा चढाना न भूलें ( अब समीर लाल जी आप इतनी दूर कनाडा मे बैठे हैं तो हमारे पास और क्या विकल्प है।) और इसके बाद अगर अपने ब्लाग की पर्सनल समीक्षा चाहते हों तो वो आपके ब्लाग पर जाकर ५१ टिप्पणियां करें और उनका विवरण दे और अलग से ईमेल करें, आप के ब्लाग का भविष्यफ़ल और उसकी चलने की पक्की गारटीं समीरलाल जी अवशय देगें।
Wednesday, October 18, 2006
पाकिस्तान मे कैरियर के विकल्प
अगर हम पाकिस्तान मे होते तो कुछ इस तरह कक्षा 12 वीं के बाद प्रोफ़ेशेनल कोर्स के विकल्प होते:
JEE - Jehadic Entrance Examination
IIT - Islamic Institute of Terrorism
IIM - Institute of Infiltration Management
CAT - Career in Alqaida & Taliban
IAS - Iraq after Saddam
M Tech - Masters in Terror Technology
GATE - General Aptitude in Terror and Extremism
TOEFL - Test of Extremist Foreign Languages
GRE - Graduate in Relocation Extremism
MBBS - Master of Bomb Blasting Strategies
JEE - Jehadic Entrance Examination
IIT - Islamic Institute of Terrorism
IIM - Institute of Infiltration Management
CAT - Career in Alqaida & Taliban
IAS - Iraq after Saddam
M Tech - Masters in Terror Technology
GATE - General Aptitude in Terror and Extremism
TOEFL - Test of Extremist Foreign Languages
GRE - Graduate in Relocation Extremism
MBBS - Master of Bomb Blasting Strategies
Tuesday, October 10, 2006
आज की सुबह
आज सुबह जो कुछ वीडियो देखे,उनमे एक यह नुसरत फ़तह अली खान का वीडियो था जिसको मै काफ़ी अर्से से ढूँढ रहा था,आज अकस्मात ही यू-टयूब पर मिल गया। और इसके साथ ही जब तलाश की तो पंकज उदास के भी चन्द वीडियो मिले जिनकी तलाश मुझे कई दिनो से थी। तो क्यों नही इस सुबह का मजा हम लोग साथ ही बितायें।
1:- आफ़रीन आफ़रीन
2:-यूँ मेरे खत का जबाब आया, लिफ़ाफ़े मे एक गुलाब आया
3:-कही दूर जब दिन ढल जाय साँझ की दुल्हन चुपके से आये
जगजीत सिह जी का यह वीडियो,हाँलाकि मुकेश जी का गाया हुआ है, कुछ दिन पहले मैने यू-टयूब पर अपलोड किया था , यह एक बहुत दिलकश वीडियो है और इसके साथ ही इस सी डी ,'CLOSE TO MY HEART'मे कई ऐसे यादगार पुराने गाने हैं जिसको कुछ दिन बाद फ़िर से अपलोड करूँगा, फ़िलहाल इसका तो मजा ले लें।
चलता हूँ, मेरी सुबह की तफ़रीह का समय समाप्त , फ़िर मिलेगें।
1:- आफ़रीन आफ़रीन
2:-यूँ मेरे खत का जबाब आया, लिफ़ाफ़े मे एक गुलाब आया
3:-कही दूर जब दिन ढल जाय साँझ की दुल्हन चुपके से आये
जगजीत सिह जी का यह वीडियो,हाँलाकि मुकेश जी का गाया हुआ है, कुछ दिन पहले मैने यू-टयूब पर अपलोड किया था , यह एक बहुत दिलकश वीडियो है और इसके साथ ही इस सी डी ,'CLOSE TO MY HEART'मे कई ऐसे यादगार पुराने गाने हैं जिसको कुछ दिन बाद फ़िर से अपलोड करूँगा, फ़िलहाल इसका तो मजा ले लें।
चलता हूँ, मेरी सुबह की तफ़रीह का समय समाप्त , फ़िर मिलेगें।
Wednesday, October 04, 2006
सरहद के पार- 'मेहंदी हसन'
जीतू भाई की सितंबर की ब्लाग प्रविष्ट 'सरहद के पार, दिल के पास' को पढते हुये अपने पुराने गजल संग्रह की याद ताजा हो गयी । मेरे पसंदीदा गजल कलाकारों मे जगजीत सिह, जनाब मेहंदी हसन जी और तलत अजीज रहे। गुलाम अली मुझे शुरू मे तो पसंद आते रहे लेकिन बाद मुझे काफ़ी टाईप से लगे और बोरिंग भी। जब ज़ीतू भाई ने याद दिला ही दी तो मैने अपने तमाम पुरानी सी डी और कैसेटस को झाड पोछ कर सुनने की ठानी और उसमे से एक नायाब संग्रह मेहंदी हसन का निकला , वह मुझे नायाब इसलिये लगा क्योंकि उसमे कई गजलें और गीत अनसुने से थे और पाकिस्तान की उर्दू सिनेमा से लिये गये थे। अब यह बात कुछ और ही थी कि उसमे से अधिकांश गजल और गीत के बोल मुझे हिन्दी गानों से मिलते जुलते लगे। कुछ मेहंदी हसन के गीत और गजल जो मुजे इस सी डी मे पंसद आये है उसको lifelogger.com से अपलोड करके mp3 रूप मे इस पोस्ट मे संल्गन किया है, आडियो की क्वालिटी बहुत अच्छी नही है, शायद मेरे थके हुये B.S.N.L. ब्राडबैंड के कारण होगी ,फ़िर भी सुनने मे मजा आयेगा।
भारत और पाकिस्तान के बीच अगर कोई मीठा रिशता बचा है तो वह बस संगीत ही है और बाकी तो बस कडुवाहाट ही हैं।
1-कहने को यह एक गीत है , दर असल है चर्चा तेरा
2-आज तू गैर सही
3-रफ़्ता-2 वह मेरी
4-तेरे भीगे बदन की खुशबू
5-जब कोई प्यार से बुलायेगा
6-गा मेरे दीवाने
7-बात करनी मुझे मुशिकल
8-भूली बिसरी
Thursday, September 28, 2006
Friday, September 22, 2006
सुटटा और GMD
कुछ दिन पहले इंटरनेट पर विचरण करते हुये मैं जब अचानक अमित के ब्लाग तक पहुँचा, [हां मै अलबत्ता यह अभी तक तय नही कर पा रहा हूँ कि यह अमित अपने वाले अमित हैं या कोई और अमित] तो अचानक एक पोस्ट ने बरबस धयान खींच लिया। 'सुटटा' और 'GMD' मैने करीब दो साल पहले इंटरनेट पर सुना था । ‘सुटटा’ को पाकिस्तान के जीस्ट बैन्ड ने कम्पोज किया है और 'GMD' को XLRI जमशेदपुर के 'बोधिटिरी' नाम के ग्रुप ने बनाया है। गाने के बोल एकदम झकास हैं और दोनो ही गाने आपको अपने कालेज की यादों को ताजा कर जायेगें।
आज भले ही मुझे यह बोल अशशील लग रहे हैं लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब इसी प्रकार के बोलों का चलन था । हाँ, मै उन कालेज के दिनों की ही बात कर रहा हूँ। मेडिकल का कोई भी छात्र भले कि किसी भी पद्दति का हो उसे ‘रैगिग’ से गुजरना अवशय पडता है। हम लोगो को भी रैगिग सत्र के दौरान एक विशेष 'मेडिकल डायरी' बनानी पडती थी जो मेडिकल से कोसो दूर और डायरी के नाम पर तो एक तमाशा ही थी। लेकिन उस डायरी को बनाना अनिवार्य था, हमारे सीनियर्स ऐनाटोमी के डिसेक्शन पीरियड के दौरान शिक्षक की अनुपस्थिति मे आ धमकते और फ़िर शुरू होता सुनने सुनाने का दौर, जो ना सुना पाये उसका मार खाना भी निशिचत था।
‘'डायरी' के अगर मै कुछ पन्ने खोल दूँ तो अधिकाश ब्लागरस मुझे अपनी बिरादरी से ही दूर कर दे। आज 26 साल के बाद मै ऐनाटोमी और फ़िजियोलोजी के कई अंश तो भूल गया हूँ लेकिन डायरी बिल्कुल कंठस्थ है और होगी भी क्यों नहीं , आखिर इसी को याद करने की ही वजह से ही सीनियर्स से अच्छे संबध हुये। बाद के कुछ सालों मे मुझे सीनियर्स और जूनियर्स के सबध बिगडते ही दिखे। अब तो मै देखता हूँ कि अक्सर सीनियर्स ही अपने जूनियर्स से मार खा जाते हैं। वक्त -2 की बात है।
जिन दो गानों की मै बात कर रहा था वह दोनो गाने mp3 player और बोल सहित इस पोस्ट मे संल्गन है। आप सिर्फ़ head phone अपना कान मे लगायें या फ़िर speaker से जोड दें और गाने का मजा लें। गालियों पर अधिक धयान देने के अलावा गाने का पूरा आनंद ले। के.पी. सक्सेना जी की एक रचना का मै विशेष उल्लेख करना चाहूगाँ जिसमे के.पी.लिखते है कि अगर आप किसी को हिन्दी मे 'उल्लू का पटठा हरामजादा' कहो तो वह एक बार तिलमिला उठे लेकिन यही शब्द अगर आप संस्कृत मे 'हे उलूक पुत्र अवैधजनक' कहो तो सुनने वाले का मन भी करे कि बार-2 सुनता रहे, कमोबक्श अंग्रेजी की गालियों के साथ भी ऐसा ही होता है।
1:-सुटटा
COUGHHSSS....OK THIS SONG IS DEDICATED TO ALL THE SMOKERS
AND DOPERS BY ZEEST THE BAND...SO LETS HIT IT....BC SUTTA!
दोस्तों में बैठा मै सुटटा पी रहा
अब्बा ने मुझे सुटटा पीते देख लिया
घर जब मै पहुँचा मुझे डन्डा हो गया
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला
--------कोरस------
ब***च***सुटटा मुझे सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा मुझे सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला
कालेज मै गया मुझे प्यार हो गया
उसने भी मुझसे मेरा सुटटा छीन लिया
सडकों पे घूमा मै तन्हा रह गया
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला****
--------कोरस------
ब***च***सुटटा मुझे सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा मुझे सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला
शादी हुयी मै हस्बैन्ड बन गया
रात भर ठोका मै थक कर गिर गया
खुशियों की खातिर मेरा सुटटा छिन गया
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला****
--------कोरस------
ब***च***सुटटा मुझे सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा मुझे सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला
ब***च***मा***च*** ब***च***मा***च***
ब***च***मा***च*** ब***च***मा***च***
ब***च***मा***च*** ब***च***मा***च***
ब***च***मा***च*** ब***च***मा***च***
ब***च***मा***च***
2:-GMD
काल से पहले वही था
काल के बाद वही
जाने कितनी सदियों से
ले रहा वो तेरी
तेरी तेरी तेरी तेरी
तेरी तेरी तेरी तेरी
गाँ*** मे डंडा दे
तेरी गाँ*** मे डंडा दे
ना बाँस की बन्सी।
ना सोने का सरिया--
गाँ*** मे डंडा दे
गाँ*** मे डंडा दे तेरी गाँ*** मे डंडा दे
ना बाँस की बन्सी।
ना सोने का सरिया--
गाँ*** मे डंडा दे
आया था वह XL में
सपनो का एक बादल
I.R.(इन्डर्सटीयल रीलेशन्स) की लडकी टोट बहुत थी,
मन मे मची थी हलचल
साथ जीयेगें साथ पढेगे
साथ चलेगें पैदल
पता चला पर बाईक वाला कोई
ले गया उसको आकर
गाँ***पे पड गयी लात
जो टूटा सपनो का महल
तेरी गाँ*** मे डंडा दे,तेरी गाँ*** मे डंडा दे
ना सोने की मुरगी ना चाँदी का अंडा
गाँ*** मे डंडा दे
मेरी गाँ*** मे डंडा दे,मेरी गाँ*** मे डंडा दे
ना बाँस की बन्सी।
ना सोने का सरिया--
गाँ*** मे डंडा दे
गाइड था उसका बडा हरामी,
पप्पू का तोडा सपना,
सेकंड यीएर फ़िर वापस आ गया
हाथ मे ले कर अपना
CQ (Contemporary Quotient) भी उसकी खास नही थी
डेंटू का पड गया रुकना
गाँवो मे साबुन बेच रहा है
झूठ है उसका हँसना
गाँ***पे पड गयी लात तो क्या है,
बनेगा नया महल
तेरी गाँ*** मे डंडा रे,तेरी गाँ*** मे डंडा रे
ना रेल की पटरी ना बिजली का खम्बा
गाँ*** मे डंडा रे
मेरी गाँ*** मे डंडा दे,मेरी गाँ*** मे डंडा दे
ना बाँस की बन्सी।
ना सोने का सरिया--
गाँ*** मे डंडा दे
तेरी गाँ*** मे डंडा रे,तेरी गाँ*** मे डंडा रे
कब का है घुसा
जरा देख पलट
तेरी गाँ*** मे डंडा रे,
तेरी गाँ*** मे डंडा रे,तेरी गाँ*** मे डंडा रे
ना बाँस की बन्सी।
ना सोने का सरिया--
गाँ*** मे डंडा दे
आज भले ही मुझे यह बोल अशशील लग रहे हैं लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब इसी प्रकार के बोलों का चलन था । हाँ, मै उन कालेज के दिनों की ही बात कर रहा हूँ। मेडिकल का कोई भी छात्र भले कि किसी भी पद्दति का हो उसे ‘रैगिग’ से गुजरना अवशय पडता है। हम लोगो को भी रैगिग सत्र के दौरान एक विशेष 'मेडिकल डायरी' बनानी पडती थी जो मेडिकल से कोसो दूर और डायरी के नाम पर तो एक तमाशा ही थी। लेकिन उस डायरी को बनाना अनिवार्य था, हमारे सीनियर्स ऐनाटोमी के डिसेक्शन पीरियड के दौरान शिक्षक की अनुपस्थिति मे आ धमकते और फ़िर शुरू होता सुनने सुनाने का दौर, जो ना सुना पाये उसका मार खाना भी निशिचत था।
‘'डायरी' के अगर मै कुछ पन्ने खोल दूँ तो अधिकाश ब्लागरस मुझे अपनी बिरादरी से ही दूर कर दे। आज 26 साल के बाद मै ऐनाटोमी और फ़िजियोलोजी के कई अंश तो भूल गया हूँ लेकिन डायरी बिल्कुल कंठस्थ है और होगी भी क्यों नहीं , आखिर इसी को याद करने की ही वजह से ही सीनियर्स से अच्छे संबध हुये। बाद के कुछ सालों मे मुझे सीनियर्स और जूनियर्स के सबध बिगडते ही दिखे। अब तो मै देखता हूँ कि अक्सर सीनियर्स ही अपने जूनियर्स से मार खा जाते हैं। वक्त -2 की बात है।
जिन दो गानों की मै बात कर रहा था वह दोनो गाने mp3 player और बोल सहित इस पोस्ट मे संल्गन है। आप सिर्फ़ head phone अपना कान मे लगायें या फ़िर speaker से जोड दें और गाने का मजा लें। गालियों पर अधिक धयान देने के अलावा गाने का पूरा आनंद ले। के.पी. सक्सेना जी की एक रचना का मै विशेष उल्लेख करना चाहूगाँ जिसमे के.पी.लिखते है कि अगर आप किसी को हिन्दी मे 'उल्लू का पटठा हरामजादा' कहो तो वह एक बार तिलमिला उठे लेकिन यही शब्द अगर आप संस्कृत मे 'हे उलूक पुत्र अवैधजनक' कहो तो सुनने वाले का मन भी करे कि बार-2 सुनता रहे, कमोबक्श अंग्रेजी की गालियों के साथ भी ऐसा ही होता है।
1:-सुटटा
COUGHHSSS....OK THIS SONG IS DEDICATED TO ALL THE SMOKERS
AND DOPERS BY ZEEST THE BAND...SO LETS HIT IT....BC SUTTA!
दोस्तों में बैठा मै सुटटा पी रहा
अब्बा ने मुझे सुटटा पीते देख लिया
घर जब मै पहुँचा मुझे डन्डा हो गया
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला
--------कोरस------
ब***च***सुटटा मुझे सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा मुझे सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला
कालेज मै गया मुझे प्यार हो गया
उसने भी मुझसे मेरा सुटटा छीन लिया
सडकों पे घूमा मै तन्हा रह गया
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला****
--------कोरस------
ब***च***सुटटा मुझे सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा मुझे सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला
शादी हुयी मै हस्बैन्ड बन गया
रात भर ठोका मै थक कर गिर गया
खुशियों की खातिर मेरा सुटटा छिन गया
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला****
--------कोरस------
ब***च***सुटटा मुझे सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा मुझे सुटटा ना मिला
ब***च***सुटटा सुटटा ना मिला
ब***च***मा***च*** ब***च***मा***च***
ब***च***मा***च*** ब***च***मा***च***
ब***च***मा***च*** ब***च***मा***च***
ब***च***मा***च*** ब***च***मा***च***
ब***च***मा***च***
2:-GMD
काल से पहले वही था
काल के बाद वही
जाने कितनी सदियों से
ले रहा वो तेरी
तेरी तेरी तेरी तेरी
तेरी तेरी तेरी तेरी
गाँ*** मे डंडा दे
तेरी गाँ*** मे डंडा दे
ना बाँस की बन्सी।
ना सोने का सरिया--
गाँ*** मे डंडा दे
गाँ*** मे डंडा दे तेरी गाँ*** मे डंडा दे
ना बाँस की बन्सी।
ना सोने का सरिया--
गाँ*** मे डंडा दे
आया था वह XL में
सपनो का एक बादल
I.R.(इन्डर्सटीयल रीलेशन्स) की लडकी टोट बहुत थी,
मन मे मची थी हलचल
साथ जीयेगें साथ पढेगे
साथ चलेगें पैदल
पता चला पर बाईक वाला कोई
ले गया उसको आकर
गाँ***पे पड गयी लात
जो टूटा सपनो का महल
तेरी गाँ*** मे डंडा दे,तेरी गाँ*** मे डंडा दे
ना सोने की मुरगी ना चाँदी का अंडा
गाँ*** मे डंडा दे
मेरी गाँ*** मे डंडा दे,मेरी गाँ*** मे डंडा दे
ना बाँस की बन्सी।
ना सोने का सरिया--
गाँ*** मे डंडा दे
गाइड था उसका बडा हरामी,
पप्पू का तोडा सपना,
सेकंड यीएर फ़िर वापस आ गया
हाथ मे ले कर अपना
CQ (Contemporary Quotient) भी उसकी खास नही थी
डेंटू का पड गया रुकना
गाँवो मे साबुन बेच रहा है
झूठ है उसका हँसना
गाँ***पे पड गयी लात तो क्या है,
बनेगा नया महल
तेरी गाँ*** मे डंडा रे,तेरी गाँ*** मे डंडा रे
ना रेल की पटरी ना बिजली का खम्बा
गाँ*** मे डंडा रे
मेरी गाँ*** मे डंडा दे,मेरी गाँ*** मे डंडा दे
ना बाँस की बन्सी।
ना सोने का सरिया--
गाँ*** मे डंडा दे
तेरी गाँ*** मे डंडा रे,तेरी गाँ*** मे डंडा रे
कब का है घुसा
जरा देख पलट
तेरी गाँ*** मे डंडा रे,
तेरी गाँ*** मे डंडा रे,तेरी गाँ*** मे डंडा रे
ना बाँस की बन्सी।
ना सोने का सरिया--
गाँ*** मे डंडा दे
Friday, September 08, 2006
Sunday, September 03, 2006
लालू, रबडी और हमरी भैंस
Friday, September 01, 2006
लालू की लीला
लालू की तो हर अदा निराली है। पवन लगभग 12 सालों से बिहार के हालात पर अपनी तिरछी नजर जमायें हैं और उनके अभी तक करीब 7000 कार्टून विभिन्न अखबारों मे प्रकाशित हो चुके हैं।
Subscribe to:
Posts (Atom)